हर बात हर सवाल की काट रखता है,
गर्दिश में हिम्मत विराट रखता है,
जाटों ने कई बार बताया ज़माने को,
शेर का जिगर तो बस जाट रखता है..."
"Har Baat Har Sawaal Ki Kaat Rakhta Hai,
Gardish Mei Himmat Viraat Rakhta Hai,
JAATON Ne Kai Bar Bataya Zamaane Ko,SHER Ka Zigar Toh Bas JAAT Rakhta Hai..."
जाटों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !
निरख रही कातर नयनों से, खड़ी भुजा फैलाये !
जाटों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !.
.
मरा नहीं है दुर्योधन, संग्राम अभी है बाकी,
खींच रहा है चीर दुशासन, भोली मानवता की.
रूप बदलकर सारे कौरव, फिर धरती पर आये !
जाटों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !
जाट की ज़ुबानी:
मैं वो जाट हूँ जो किसी के चलाये ते चाले ना,
मिटाए ते मिटे ना,
हटाये ते हटे ना,
डराए ते डरे ना,
बस मैं भूखा हु प्यार का,
ना मन लालच पिस्से का,
ना मन घमंड म्हारे रुतबे का,
मन शौक से तो बस यारी का, भाईचारे का,
ठाट अपने देसी,
रुतबा अपना देसी,
स्टाइल अपना देसी,
फेर के चीज़ म्हारे आगे विदेशी..."
धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ
देखो नभ मे उडते पतंग
भरते नीलगगन मे रंग
देखो यह बसन्त मस्तानी
आ गई है ऋतुओ की रानी..."
"जाटों की क्या हस्ती है इसका बखान करने की कोई जरुरत नहीं है, क्यूंकि हर कोई जानता है की हम जाट हैं और हमारी हस्ती बहुत बड़ी है..."
अंग्रेज़ विद्वान् सर डारलिंग-
‘‘सारे भारत में जाटों से अच्छी ऐसी कोई जाति नहीं है जिसके सदस्य एक साथ कर्मठ किसान और जीवंत जवान हों...’’
विख्यात इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने जाटों के बारे में कहा है:
"जाट समाज में जाटनियां परिश्रम करना अपना राष्ट्रीय धर्म समझती हैं,
इसलिए वे सदैव जाटों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य करती हैं,
वे आलसी जीवन के प्रति मोह नहीं रखती..."
"जाटों की ऐसी कहानी है कि जाट ही जाट की निशानी है,
हम जब आये तो तुमको एहसास था कि कोई एक शेर मेरे पास था,
हम गरम खून के उबाल हैं, प्यासी नदियों की चाल हैं,
हमारी गर्जना विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है,
हम थक कर बैठेने वाले रड बांकुर नहीं ठाकुर हैं....
गर्व है हमें जिस माँ के पूत हैं, जीतो क्यूंकि हम जाट हैं..."
छह फुट का छल छबीला था जड़ गाभरू छोरा
धोती नीची बाँधे था और गल में कला डोरा ,
खेले था खूब कब्बडी भारी मुगदर ठावे था
खाड्या म आल कर था घी दूध खूब खावे था ,
घी सेर सेर पी ज्याता गज छाती की चोडाइ
जणू चन्दन का पोरा स आँखे ना हटे हटाइ,
झोटा भी जिसकी ना लाठी ओट सके था भाई
"छोरा यो जाट का था"
"Arey Ke Dhara Hai Videsa Mei...???
Dekh Nazara Tu Apne Desh Ke Kheta Mei,
Dekh Nazara Tu Hari-Peeli Sarso Ke Kheta Ka, Jit Swarg Bsse Hai,
Le Swaad Tu Ganne Ke Kheta Ka, Jit Amrit Barse Hai,
Le Nazare Tu Tractor Ka, Iske Aage Teri Car Bi Kuch Kona,
Khel Kabaddi... Chess, Badminton Mei Ke Dhara Hai,
Laga Zor Kushti Mei, Rugby Mei Ke Dhara Hai,
Pee Tu Desi Dudh, Dairy Milk Mei Ke Dhara Hai,
Ek Bar Pehar Ke Dekh Tu Dhoti Kurta, Uske Aage Tera Coat-Paint Bhi Kuch Kona,
Ek Bar Baith Tu BULLET Pe, Teri Karizma Aur Yamaha Bhi Kuch Kona..."
गर्दिश में हिम्मत विराट रखता है,
जाटों ने कई बार बताया ज़माने को,
शेर का जिगर तो बस जाट रखता है..."
"Har Baat Har Sawaal Ki Kaat Rakhta Hai,
Gardish Mei Himmat Viraat Rakhta Hai,
JAATON Ne Kai Bar Bataya Zamaane Ko,SHER Ka Zigar Toh Bas JAAT Rakhta Hai..."
जाटों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !
निरख रही कातर नयनों से, खड़ी भुजा फैलाये !
जाटों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !.
.
मरा नहीं है दुर्योधन, संग्राम अभी है बाकी,
खींच रहा है चीर दुशासन, भोली मानवता की.
रूप बदलकर सारे कौरव, फिर धरती पर आये !
जाटों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !
जाट की ज़ुबानी:
मैं वो जाट हूँ जो किसी के चलाये ते चाले ना,
मिटाए ते मिटे ना,
हटाये ते हटे ना,
डराए ते डरे ना,
बस मैं भूखा हु प्यार का,
ना मन लालच पिस्से का,
ना मन घमंड म्हारे रुतबे का,
मन शौक से तो बस यारी का, भाईचारे का,
ठाट अपने देसी,
रुतबा अपना देसी,
स्टाइल अपना देसी,
फेर के चीज़ म्हारे आगे विदेशी..."
धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँ
देखो नभ मे उडते पतंग
भरते नीलगगन मे रंग
देखो यह बसन्त मस्तानी
आ गई है ऋतुओ की रानी..."
"जाटों की क्या हस्ती है इसका बखान करने की कोई जरुरत नहीं है, क्यूंकि हर कोई जानता है की हम जाट हैं और हमारी हस्ती बहुत बड़ी है..."
अंग्रेज़ विद्वान् सर डारलिंग-
‘‘सारे भारत में जाटों से अच्छी ऐसी कोई जाति नहीं है जिसके सदस्य एक साथ कर्मठ किसान और जीवंत जवान हों...’’
विख्यात इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने जाटों के बारे में कहा है:
"जाट समाज में जाटनियां परिश्रम करना अपना राष्ट्रीय धर्म समझती हैं,
इसलिए वे सदैव जाटों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य करती हैं,
वे आलसी जीवन के प्रति मोह नहीं रखती..."
"जाटों की ऐसी कहानी है कि जाट ही जाट की निशानी है,
हम जब आये तो तुमको एहसास था कि कोई एक शेर मेरे पास था,
हम गरम खून के उबाल हैं, प्यासी नदियों की चाल हैं,
हमारी गर्जना विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है,
हम थक कर बैठेने वाले रड बांकुर नहीं ठाकुर हैं....
गर्व है हमें जिस माँ के पूत हैं, जीतो क्यूंकि हम जाट हैं..."
छह फुट का छल छबीला था जड़ गाभरू छोरा
धोती नीची बाँधे था और गल में कला डोरा ,
खेले था खूब कब्बडी भारी मुगदर ठावे था
खाड्या म आल कर था घी दूध खूब खावे था ,
घी सेर सेर पी ज्याता गज छाती की चोडाइ
जणू चन्दन का पोरा स आँखे ना हटे हटाइ,
झोटा भी जिसकी ना लाठी ओट सके था भाई
"छोरा यो जाट का था"
"Arey Ke Dhara Hai Videsa Mei...???
Dekh Nazara Tu Apne Desh Ke Kheta Mei,
Dekh Nazara Tu Hari-Peeli Sarso Ke Kheta Ka, Jit Swarg Bsse Hai,
Le Swaad Tu Ganne Ke Kheta Ka, Jit Amrit Barse Hai,
Le Nazare Tu Tractor Ka, Iske Aage Teri Car Bi Kuch Kona,
Khel Kabaddi... Chess, Badminton Mei Ke Dhara Hai,
Laga Zor Kushti Mei, Rugby Mei Ke Dhara Hai,
Pee Tu Desi Dudh, Dairy Milk Mei Ke Dhara Hai,
Ek Bar Pehar Ke Dekh Tu Dhoti Kurta, Uske Aage Tera Coat-Paint Bhi Kuch Kona,
Ek Bar Baith Tu BULLET Pe, Teri Karizma Aur Yamaha Bhi Kuch Kona..."
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